जम्मू-कश्मीर में 2024 के विधानसभा चुनाव का पहला चरण शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, जहां कुल 58.85% मतदान दर्ज किया गया। इस चरण में 24 विधानसभा सीटों पर 23.27 लाख से अधिक मतदाताओं ने 219 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक ढांचे के पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि 10 वर्षों बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
प्रमुख उम्मीदवार और सीटें
इस चरण में कई प्रमुख राजनेता और उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्ल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहारा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। साथ ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम अहमद मीर डोरू सीट से उम्मीदवार हैं। अन्य महत्वपूर्ण सीटों में कुलगाम से सीपीआई(एम) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और देवसर से पीडीपी के सरताज अहमद मदनी शामिल हैं।
वोटिंग के आंकड़े
मतदान के दिन विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए थे, खासकर जम्मू और कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों में। कुल 3,276 पोलिंग स्टेशनों की व्यवस्था की गई, जिनमें महिलाओं के लिए ‘पिंक बूथ’, युवाओं और विकलांगों के लिए विशेष बूथ भी शामिल थे। 5.66 लाख युवा मतदाता, जिनमें 1.23 लाख पहली बार वोट डालने वाले मतदाता थे, इस चुनाव में अपनी भूमिका निभाई।
कुल मतदाताओं में 11.76 लाख पुरुष और 11.51 लाख महिलाएं शामिल थीं, जबकि 60 तृतीय लिंग के मतदाता भी थे। इसके अलावा, 28,309 दिव्यांगजन और 85 वर्ष से ऊपर के 15,774 वरिष्ठ नागरिक भी मतदान में शामिल हुए।
सुरक्षा और विशेष व्यवस्था
चुनाव प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इस चरण में कुछ जगहों पर हिंसक झड़पें भी हुईं, लेकिन अधिकांश स्थानों पर मतदान शांतिपूर्ण रहा। पुलवामा के एक बूथ पर ईवीएम मशीनों को सील किया गया, और अन्य पोलिंग स्टेशनों पर भी चुनावी प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हुई। मतदान केंद्रों पर विशेष व्यवस्था की गई थी ताकि वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांगजनों को कोई कठिनाई न हो।
राजनीतिक प्रचार और चुनावी मुद्दे
चुनाव से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों ने जोरदार चुनाव प्रचार किया। भाजपा ने ‘नया कश्मीर’ के अपने विजन के साथ चुनावी अभियान चलाया, जिसमें आतंकवाद के खतरों को रोकने पर जोर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर और जम्मू क्षेत्रों में लगातार रैलियां कीं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अपने ‘हाथ बदलेगा हालात’ नामक घोषणापत्र के साथ चुनावी मैदान में उतरकर रोजगार, प्राकृतिक आपदाओं से फसल बीमा, और महिलाओं के लिए फ्री ट्रांसपोर्ट जैसी योजनाओं की घोषणा की।
पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर में स्थिरता की जरूरत पर जोर दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी समान रूप से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) को रद्द करने और 1 लाख नौकरियां देने का वादा किया।
निष्कर्ष
पहले चरण में उच्च मतदान प्रतिशत से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास जताते हुए अपने नेताओं को चुनने के लिए उत्साहित हैं। अगले चरणों में भी राजनीतिक माहौल और मतदान की प्रक्रिया पर सभी की नजरें होंगी