प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया भाषण में जम्मू-कश्मीर की स्थिति और वहां की राजनीति पर गंभीर आरोप लगाते हुए विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य तीन बड़े राजनीतिक परिवारों की जकड़ में फंसकर पिसता रहा है। यह बयान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास, सुरक्षा, और राजनीतिक स्थिरता पर बात करते हुए दिया। मोदी ने उन प्रमुख राजनीतिक परिवारों का नाम लिए बिना विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे दशकों से राज्य में अपने स्वार्थी एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं, जबकि आम जनता की भलाई को नजरअंदाज किया गया।
यह मुद्दा एक लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है कि कैसे जम्मू-कश्मीर के कुछ खास परिवारों ने राज्य की राजनीति पर प्रभुत्व बनाए रखा और उसके विकास में बाधा डालने का काम किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे राष्ट्र की सुरक्षा और विकास के नजरिए से देखा और विपक्षी दलों की नीतियों और निर्णयों पर गंभीर सवाल उठाए।
तीन खानदानों का प्रभुत्व: क्या है मामला?
जम्मू-कश्मीर में राजनीति का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें कुछ बड़े राजनीतिक परिवारों ने दशकों तक अपना प्रभाव बनाए रखा। यह परिवार सत्ता में आने वाले दलों पर हावी रहे और उनकी नीतियों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य के विकास और सुरक्षा के मामलों में इन परिवारों की नीतियों और फैसलों का गहरा असर रहा है।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में मुख्यत: तीन प्रमुख परिवारों का जिक्र किया जाता है – अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार, और गांधी परिवार। ये परिवार राज्य की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते आए हैं और राज्य के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक निर्णयों पर उनका प्रभाव देखा गया है।
- अब्दुल्ला परिवार: शेख अब्दुल्ला, जिन्हें ‘शेर-ए-कश्मीर’ कहा जाता था, जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री बने थे। उनके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला और फिर उनके पोते उमर अब्दुल्ला ने राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के बैनर तले अब्दुल्ला परिवार ने लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का प्रयास किया।
- मुफ्ती परिवार: मुफ्ती मोहम्मद सईद, जिन्होंने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की स्थापना की, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। उनके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने राज्य की राजनीति में अहम जिम्मेदारी संभाली। मुफ्ती परिवार भी जम्मू-कश्मीर की सत्ता का एक महत्वपूर्ण ध्रुव रहा है।
- गांधी परिवार: राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी कांग्रेस पार्टी ने भी जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपने पांव जमाए रखे। इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक, कांग्रेस ने राज्य में गठबंधन और सहयोग से सत्ता में हिस्सेदारी बनाए रखी है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी इन परिवारों के साथ मिलकर राज्य की राजनीति को प्रभावित किया है।
पीएम मोदी का आरोप: विकास की अनदेखी और अलगाववादी राजनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि ये राजनीतिक परिवार राज्य के विकास को रोकने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इन परिवारों ने सत्ता में आने के बाद अपने स्वार्थी एजेंडे को प्राथमिकता दी, जबकि राज्य की जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने दावा किया कि इन परिवारों ने अलगाववाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
मोदी के अनुसार, इन परिवारों ने राजनीतिक लाभ के लिए राज्य के संवेदनशील मुद्दों को इस्तेमाल किया और जनता के हितों को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के बढ़ने के पीछे भी इन परिवारों की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया।
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का नया युग
अनुच्छेद 370, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था, उसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को हटा दिया। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने इसे राज्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे राज्य में वर्षों से चले आ रहे राजनीतिक प्रभुत्व का अंत होगा और आम जनता को वास्तविक लाभ मिलेगा।
मोदी सरकार के इस कदम को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध किया था, खासकर अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों ने इसे जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के साथ विश्वासघात करार दिया। लेकिन मोदी ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 राज्य के विकास और सुरक्षा में सबसे बड़ी बाधा थी। उनके अनुसार, इसका हटाया जाना राज्य को मुख्यधारा में लाने और वहां के युवाओं को विकास के नए अवसर प्रदान करने के लिए जरूरी था।
जम्मू-कश्मीर में नई पहल: विकास और सुरक्षा
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई विकास योजनाओं की घोषणा की है। इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि राज्य को विशेष ध्यान दिया जाए ताकि वहां के लोग भी देश के अन्य हिस्सों की तरह विकास का लाभ उठा सकें।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। राज्य में आतंकवाद पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों को सशक्त किया गया है, और सीमा सुरक्षा को मजबूत किया गया है। मोदी के अनुसार, अब राज्य में शांति और स्थिरता कायम करना प्राथमिकता है, ताकि वहां के लोग भयमुक्त होकर जीवन जी सकें।
विपक्ष का पलटवार: मोदी के आरोपों का खंडन
प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों के बाद विपक्षी दलों ने भी तीखा जवाब दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों ने मोदी के बयानों को झूठ और भ्रामक बताया। फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को गलत तरीके से पेश किया है और राज्य की जनता की असल समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है।
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को हटाकर केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। उनका मानना है कि इस कदम से राज्य की स्थिति और बिगड़ी है और वहां के लोगों में असंतोष बढ़ा है। वे यह भी दावा करते हैं कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण राज्य में बेरोजगारी और विकास की कमी जैसी समस्याएं बढ़ी हैं।
जनता की राय: राजनीतिक परिवारों का प्रभाव
जम्मू-कश्मीर की जनता का एक बड़ा हिस्सा भी इस राजनीतिक विवाद में बंटा हुआ है। जहां कुछ लोग मानते हैं कि तीन प्रमुख परिवारों का प्रभुत्व राज्य की प्रगति में बाधा बना रहा है, वहीं अन्य लोग इन परिवारों की राजनीतिक समझ और उनके प्रयासों की सराहना करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए बयान ने राज्य में एक नई बहस को जन्म दिया है। लोगों का मानना है कि यह समय है जब जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नए चेहरे और नए विचार आने चाहिए। राज्य के युवाओं की समस्याओं और उनकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए नई नीतियां बननी चाहिए, ताकि राज्य में एक स्थायी और सुरक्षित भविष्य की नींव रखी जा सके।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख राजनीतिक परिवारों पर लगाए गए आरोपों ने राज्य की राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति पिछले कई दशकों से कुछ खास परिवारों के प्रभुत्व में रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि राज्य को विकास और शांति की दिशा में ले जाया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, केंद्र सरकार का लक्ष्य राज्य को मुख्यधारा में लाकर वहां के लोगों को विकास के नए अवसर प्रदान करना है। वहीं विपक्षी दल इसे जनतांत्रिक अधिकारों पर हमला मानते हैं। लेकिन अंत में यह जनता पर निर्भर करता है कि वे किसे सही मानते हैं और किस दिशा में राज्य का भविष्य देखना चाहते हैं।