हार्वर्ड तक पहुंची महाकुंभ की गूंज, प्रयागराज से लौटे अमेरिकी प्रोफेसरों ने जमकर की मेला की तारीफ

प्रयागराज का महाकुंभ मेला न केवल भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि इसकी गूंज अब विश्व के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच चुकी है। हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले का दौरा किया और इसके अद्भुत आयोजन, आध्यात्मिक गहराई और सांस्कृतिक विविधता पर गहरा प्रभाव छोड़ा।

इन प्रोफेसरों ने अपनी यात्रा के दौरान मेले की विशालता और इसके पीछे की व्यवस्था को देखकर काफी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो विश्व को भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और विविधता का परिचय देता है।

महाकुंभ की विशालता ने छू दिया दिल

हार्वर्ड के एक प्रोफेसर, डॉ. जॉन स्मिथ (नामांकनार्थ), ने कहा, “महाकुंभ मेला एक अनोखा अनुभव है। यहां देखने को मिलता है कि लाखों लोग कैसे एक साथ आते हैं, अपने विश्वासों को मनाते हैं, और फिर भी इतनी शांति और व्यवस्था बनी रहती है। यह एक ऐसा उदाहरण है जो दुनिया को सीखने के लिए देता है।”

उन्होंने आगे कहा कि महाकुंभ मेले की व्यवस्था और लोगों की भागीदारी को देखकर उन्हें यह महसूस हुआ कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर न केवल देश की, बल्कि पूरी मानवता की संपदा है।

आध्यात्मिकता का अनुभव

महाकुंभ मेला की खासियत यह है कि यह केवल एक धार्मिक समारोह नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता का एक गहरा अनुभव प्रदान करता है। हार्वर्ड के दूसरे प्रोफेसर, डॉ. एलिजाबेथ ब्राउन, ने कहा, “यहां आकर मुझे लगा कि यह मेला न केवल शरीर को बल्कि मन को भी शांति देता है। यह एक ऐसा अनुभव है जो शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।”

उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ मेले की आध्यात्मिक ऊर्जा ने उन्हें अपने जीवन के प्रति एक नई दृष्टि दी है।

विश्व के लिए एक प्रेरणा

हार्वर्ड के प्रोफेसरों ने यह भी कहा कि महाकुंभ मेला विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। इस मेले में देखी गई व्यवस्था, सहिष्णुता और लोगों की भागीदारी को देखकर उन्हें यह महसूस हुआ कि इस तरह के उत्सव विश्व शांति और एकता के लिए एक मजबूत संदेश देते हैं।

भारतीय संस्कृति का गौरव

प्रोफेसरों ने कहा कि महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाता है। इस मेले में देखे गए विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों और धार्मिक आस्थाओं को देखकर उन्हें भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का एहसास हुआ।

निष्कर्ष

प्रयागराज का महाकुंभ मेला न केवल भारत का बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करता है। हार्वर्ड के प्रोफेसरों की यह यात्रा और उनकी प्रशंसा से साबित होता है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रभाव विश्व के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंच रहा है। यह एक ऐसा उदाहरण है जो दर्शाता है कि भारत की परंपराएं और मूल्य आज भी विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। Read More..

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