इलाहाबाद / अलीगढ़ | ASH24 NEWS
Written by: Asiya Shaheen
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की पहली महिला कुलपति प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को संपूर्ण रूप से वैध बताया है और इस पर उठाए गए सभी आपत्तियों और याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
क्या था मामला?
-
याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि
AMU की Vice Chancellor Appointment Process पारदर्शी नहीं थी। -
आरोप यह भी था कि विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।
हाई कोर्ट का स्पष्ट फैसला
हाई कोर्ट की बेंच ने कहा:
“Prof. Naima Khatoon की नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम, नियमावली और UGC गाइडलाइंस के अनुसार हुई है।
इस प्रक्रिया में कोई कानूनविरुद्ध गतिविधि नहीं पाई गई।”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को अपर्याप्त और तथ्यों से परे बताया।
प्रो. नईमा खातून कौन हैं?
-
AMU की पहली महिला कुलपति (Vice Chancellor)
-
इससे पहले विमेंस कॉलेज AMU की प्रिंसिपल रही हैं
-
शैक्षणिक, प्रशासनिक और शोध कार्यों में 30 वर्षों से अधिक अनुभव
-
उनकी नियुक्ति को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जो AMU के विज़िटर होते हैं
ये भी पढ़ें: UP domestic violence: हरदोई में husband cuts wife’s hair क्योंकि दहेज में नहीं मिला कूलर और फ्रिज
AMU प्रशासन की प्रतिक्रिया
AMU प्रवक्ता ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा:
“यह न्याय की जीत है। कुलपति की नियुक्ति पूरी पारदर्शिता से हुई थी।
यह फैसला AMU की गरिमा और संवैधानिक प्रक्रिया की पुष्टि करता है।”
छात्र संघों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
-
छात्र नेताओं ने कहा:
“कुलपति को काम करने देना चाहिए, बेवजह के विवाद AMU की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं।” -
कुछ पूर्व प्रोफेसरों ने भी फैसले को “महिला नेतृत्व की जीत” बताया।
निष्कर्ष:
AMU Vice Chancellor Naima Khatoon को लेकर चल रही विवाद की स्थिति पर
इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट और निर्णायक है।
अब उम्मीद है कि AMU प्रशासन और छात्र समुदाय शैक्षणिक विकास और शांति की दिशा में आगे बढ़ेगा।