लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने दावा किया कि Waqf Board ने Kumbh Mela की ज़मीन पर दावा ठोक दिया था। लेकिन ज़रा रुकिए! जब ASH24News की फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल शुरू की तो पूरा मामला ही पलट गया।
CM साहब का दावा पूरी तरह से फेक निकला!
क्या सच में वक्फ बोर्ड ने कुंभ की ज़मीन मांगी?
जनता के बीच जो बयान ज़ोर-शोर से फैलाया गया, वो ये था कि Waqf Board ने Prayagraj में Kumbh Mela की ज़मीन को अपनी संपत्ति बताया है। लेकिन जब हमने RTI डाली, सरकारी कागज़ खंगाले और Waqf Board की वेबसाइट से लेकर ज़िला प्रशासन तक हर दरवाज़ा खटखटाया — तो एक भी सबूत ऐसा नहीं मिला जो इस दावे को सही ठहरा सके।
नतीजा: ऐसा कोई दावा कभी किया ही नहीं गया था।
खुद वक्फ बोर्ड ने क्या कहा?
Waqf Board ने बयान जारी करके साफ-साफ कहा,
“हमने कभी Kumbh Mela की ज़मीन को वक्फ प्रॉपर्टी नहीं कहा, ये बयान पूरी तरह भ्रामक और झूठा है।”
यानि न कोई नोटिस, न कोई आवेदन, न कोई कानूनी प्रक्रिया। फिर सवाल उठता है — CM योगी ने ऐसा बयान क्यों दिया?
राजनीति के गेम में फैक्ट्स की हार?
राजनीति में बयानबाज़ी आम है, लेकिन जब बात धार्मिक आयोजनों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की हो — तो जिम्मेदारी और भी ज़्यादा हो जाती है।
विशेषज्ञों की मानें तो ये बयान चुनावी माहौल में धार्मिक भावनाएं भड़काने का एक तरीका हो सकता है।
Kumbh Mela, जो आस्था और परंपरा का सबसे बड़ा उत्सव है — उसे जबरन विवादों में घसीटना एक सोची-समझी चाल लगती है।
सोशल मीडिया पर बवाल
जैसे ही ये बयान वायरल हुआ, ट्विटर पर #WaqfBoard, #KumbhMela, और #FactCheck ट्रेंड करने लगे।
कुछ ने इसे “हिंदू धर्म पर हमला” बताया, तो कुछ ने सीएम साहब को “सिस्टम का झूठा प्रवक्ता” करार दे दिया।
एक यूज़र ने लिखा –
“CM साहब, कृपया राजनीति कीजिए लेकिन धर्म को झूठ की नींव मत बनाइए।”
सरकारी ज़मीन पर वक्फ का हक़?
कानून साफ़ कहता है कि कोई भी ज़मीन तभी Waqf Property घोषित हो सकती है जब उसके पास पुख्ता ऐतिहासिक और कानूनी दस्तावेज़ हों।
लेकिन Kumbh Mela की ज़मीन तो पूरी तरह सरकारी है — जिसे सरकार खुद आयोजनों के लिए देती है।
तो सवाल उठता है –
जब दावा ही नहीं किया गया, तो हंगामा क्यों?
निष्कर्ष: एक झूठा दावा, एक बड़ा सवाल
Waqf Board ने Kumbh Mela की ज़मीन पर कोई दावा नहीं किया।
CM Yogi Adityanath का बयान तथ्यों से मेल नहीं खाता।
यह बयान सिर्फ राजनीतिक लाभ और ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल हुआ लगता है।