गुमनाम चित्रकारों की अनमोल विरासत है ‘Company Painting’… DAG में 200 साल के इतिहास से सजी दीवारें

नई दिल्ली – दीवारों पर इतिहास बोलता है। कहीं महाराजा अपनी सभा में हैं, तो कहीं अंग्रेज अफसर भारतीय लोकजीवन को निहार रहे हैं। Delhi Art Gallery (DAG) में चल रही अनोखी प्रदर्शनी में Company Painting की वो विरासत सजी है, जिसे सदियों तक गुमनाम कलाकारों ने अपने ब्रश से जिंदा रखा।

Company Painting: भारत और अंग्रेज़ों की साझा दृष्टि

Company Painting उस दौर की कला शैली थी, जब East India Company के अंग्रेज अधिकारी भारत की संस्कृति, जनजीवन और सुंदरता को रिकॉर्ड करना चाहते थे। मगर कैमरा नहीं था — तो उन्होंने भारतीय चित्रकारों को जिम्मा सौंपा, जिन्होंने पेंटिंग के ज़रिए उस युग की तस्वीरें बना दीं।

 ये चित्र न तो पूरी तरह पारंपरिक थे, न ही पूरी तरह यूरोपीय — एक अद्भुत मेल था रंग, रेखा और दृष्टिकोण का।

 DAG की प्रदर्शनी: इतिहास की रंगीन खिड़की

DAG में लगी यह प्रदर्शनी एक संग्रहालय जैसी है —

  • 18वीं और 19वीं सदी की दुर्लभ Company Painting

  • हाथ से लिखी टिप्‍पणियों के साथ मूल चित्र

  • ब्रिटिश अफसरों, भारतीय दरबार, बाज़ार, त्योहार, पशु-पक्षियों के चित्र

  • बनारस, अवध, मद्रास और मुर्शिदाबाद की कला झलकियाँ

हर चित्र मानो आपको उस दौर में ले जाता है जब भारत रंगों में बसता था।

 बिना नाम के कलाकार, मगर अमर कला

इन पेंटिंग्स के पीछे जो कलाकार थे, वो इतिहास की रोशनी से दूर रह गए।
 लेकिन उनकी कला आज भी चमक रही है — उनके बनाए चेहरे, कपड़े, इमारतें, पेड़-पौधे, सब कुछ इतना जीवंत है कि आप रुककर देखना चाहते हैं।
 ये वो भारतीय थे जिन्होंने Company Officers के कहने पर भारत को उनके नज़रिए से चित्रित किया — और एक नया दृष्टिकोण दिया।

 क्यों देखें ये प्रदर्शनी?

  • कला प्रेमियों के लिए एक खज़ाना

  • इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए ज़िंदा दस्तावेज़

  • छात्रों, शोधकर्ताओं और संस्कृति प्रेमियों के लिए प्रेरणा

  • और आम नागरिकों के लिए अपने अतीत को देखने का दुर्लभ अवसर

 कब और कहाँ?

Delhi Art Gallery (DAG), नई दिल्ली
 प्रदर्शनी सीमित समय के लिए खुली है
 सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक
 प्रवेश पूरी तरह नि:शुल्क है

 निष्कर्ष

Company Painting कोई साधारण चित्र नहीं — वो इतिहास की उन कहानियों के रंगीन पन्ने हैं जिन्हें आज भी आंखें पढ़ सकती हैं।
DAG में सजी इन पेंटिंग्स को देखकर समझ आता है कि हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर कितनी गहरी और बहुरंगी रही है।

गुमनाम थे, मगर उनकी कला अमर है।

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