हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें यह दावा किया गया कि कोलकाता स्थित Jadavpur University प्रशासन ने Saraswati Puja की अनुमति नहीं दी, लेकिन वहीं Iftar का आयोजन धूमधाम से करवाया गया। इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर इस दावे को लेकर बहस छिड़ गई। कई यूजर्स ने इसे “सेक्युलरिज्म की विफलता” बताया तो कुछ ने “हिंदू भावनाओं का अपमान” तक कह दिया। लेकिन जब इस वायरल दावे की पड़ताल की गई, तो सामने आया कि यह दावा पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और गलत संदर्भ में फैलाया गया है।
✅ क्या हुआ था वायरल वीडियो में?
वायरल वीडियो में Jadavpur University के अंदर हुए Iftar कार्यक्रम की तस्वीरें और क्लिप्स दिखाईं गईं, और इसके साथ यह दावा जोड़ा गया कि प्रशासन ने इस्लामिक त्योहार को अनुमति दी, जबकि Saraswati Puja जैसे पारंपरिक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान पर रोक लगा दी गई। वीडियो में किसी खास संगठन या व्यक्ति का नाम नहीं था, लेकिन कैप्शन और कमेंट्स के ज़रिए यह माहौल बनाया गया कि यूनिवर्सिटी केवल एक धर्म को प्राथमिकता दे रही है।
✅ सच्चाई क्या है?
Fact Check करने के बाद सामने आया कि 2 फरवरी 2025 को जादवपुर यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों और हॉस्टलों में Saraswati Puja पूरे श्रद्धा भाव से आयोजित की गई थी। न सिर्फ पूजा की अनुमति दी गई थी, बल्कि यूनिवर्सिटी परिसर में कई स्थानों पर विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से पूजा की व्यवस्था की।
Jadavpur University Saraswati Puja से जुड़े कई फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें छात्र और छात्राएं विधिवत पूजा करते दिख रहे हैं। ऐसे में यह दावा कि पूजा की अनुमति नहीं दी गई – पूरी तरह से तथ्यहीन है।
✅ Iftar का आयोजन भी हुआ – लेकिन अलग पहल
जहाँ तक Iftar का सवाल है, यह एक सामूहिक आयोजन था जिसे कुछ छात्र संगठनों और स्वयंसेवी छात्रों ने मिलकर आयोजित किया था। Ramzan के पवित्र महीने में ऐसे आयोजन आम होते हैं, और यूनिवर्सिटी प्रशासन इन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता – जैसे वह Holi, Christmas, या Durga Puja पर भी नहीं लगाता।
✅ छात्रों और यूनिवर्सिटी का क्या कहना है?
Students’ Federation of India (SFI) के राज्य सचिव शौर्यदीप रॉय ने बयान में कहा कि यह वीडियो भ्रामक तरीके से फैलाया गया है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में हर साल की तरह इस साल भी Saraswati Puja आयोजित की गई। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि Jadavpur University के किसी भी धार्मिक आयोजन में प्रशासन का कोई पक्षपात नहीं होता।
उन्होंने कहा, “Jadavpur University एक शैक्षिक संस्थान है, और यहां सभी धर्मों और संस्कृतियों को बराबरी का दर्जा दिया जाता है। छात्र अपनी परंपराओं और आस्थाओं के अनुसार आयोजन करते हैं।”
✅ यूनिवर्सिटी प्रशासन की प्रतिक्रिया
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस वायरल दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि “ना तो सरस्वती पूजा पर किसी प्रकार की रोक लगाई गई है और ना ही इफ्तार को लेकर कोई विशेष सुविधा दी गई है।” दोनों ही आयोजन छात्रों की स्वेच्छा से हुए हैं और दोनों को किसी प्रकार की रोकटोक नहीं की गई है।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा कि Jadavpur University Saraswati Puja Ban Claim सच है, पूरी तरह झूठा और भ्रामक है। यूनिवर्सिटी परिसर में न केवल Saraswati Puja आयोजित हुई बल्कि उसे पूरे सम्मान के साथ मनाया गया। साथ ही Jadavpur University Iftar भी हुआ, जो छात्रों की साझी संस्कृति का उदाहरण है।
यह मामला इस बात का प्रमाण है कि बिना तथ्यों की जांच किए हुए सोशल मीडिया पर किसी भी दावे को मान लेना खतरनाक हो सकता है। ऐसे दावे न सिर्फ समाज में तनाव बढ़ाते हैं बल्कि संस्थानों की छवि को भी नुकसान पहुंचाते हैं।