पहलगाम, जम्मू-कश्मीर:
जम्मू-कश्मीर के Pahalgam Terrorist Attack को लेकर जांच एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है।
इस हमले की जड़ें अब सिर्फ बंदूक और गोलियों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि इसका विस्तार डिजिटल दुनिया तक हो चुका है।
जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने हमले से पहले और बाद में कई Terrorist Digital Footprints छोड़े, जिनकी जांच अब तेज़ी से की जा रही है।
कैसे मिले Digital Footprints?
पुलिस और एजेंसियों को घटनास्थल से कुछ मोबाइल डिवाइस, पेन ड्राइव्स और एक अधजला लैपटॉप मिला।
इनमें से अधिकांश डेटा को रिस्टोर कर लिया गया है।
साइबर विशेषज्ञों ने पाया कि हमले से पहले और बाद में टेलीग्राम, व्हाट्सएप और कुछ एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन के ज़रिए आतंकियों के बीच बातचीत हुई थी।
इन Terrorist Digital Footprints के आधार पर एजेंसियां अब उस नेटवर्क को ट्रैक करने में जुटी हैं जिससे यह हमला संभव हो पाया।
सोशल मीडिया से मिले लिंक
आश्चर्य की बात यह रही कि हमले से एक दिन पहले एक गुप्त इंस्टाग्राम अकाउंट से एक स्टोरी डाली गई थी जिसमें Pahalgam के एक इलाके की तस्वीर और “Final Hour” लिखा हुआ था।
यह पोस्ट कुछ ही देर में डिलीट कर दी गई, लेकिन एजेंसियों ने इसका स्क्रीनशॉट बरामद किया है।
यह अब Pahalgam Attack Intelligence का हिस्सा बन चुका है और माना जा रहा है कि यह हमला सोशल मीडिया पर कोडवर्ड्स के माध्यम से प्लान किया गया।
GPS और मैपिंग टूल्स का इस्तेमाल
एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने Google Maps और GPS टैगिंग का इस्तेमाल कर हमले की जगह का चयन किया।
Kashmir Terrorism Investigation रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल की हिस्ट्री में पहलगाम के उसी क्षेत्र के कई बार विज़िट किए जाने के सबूत मिले हैं।
🇵🇰 पाकिस्तान कनेक्शन फिर हुआ उजागर
डिजिटल फॉरेंसिक रिपोर्ट में कुछ ऐसे IP Address और VPN सर्वर सामने आए हैं जो पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं।
एक लैपटॉप की ब्राउज़र हिस्ट्री में पाकिस्तानी न्यूज़ पोर्टल्स और Jihadi Forums के विज़िट्स भी मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि आतंकियों का पाकिस्तान से सीधा डिजिटल संपर्क था।
Jammu Kashmir Terror News में इसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
लोकल नेटवर्क भी रडार पर
केवल सीमा पार ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी सहयोग की आशंका जताई जा रही है।
फोन रिकॉर्ड्स के आधार पर दो स्थानीय नंबरों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
Pahalgam Security Alert के बाद से कई गांवों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया है।
जांच एजेंसियों की मुस्तैदी
NIA, RAW, IB और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने एक हाई-लेवल साइबर सेल गठित की है जो केवल इस हमले में मिले Terrorist Digital Footprints की डीप एनालिसिस कर रही है।
Cyber Surveillance Terrorism का यह नया चेहरा भारत की सुरक्षा रणनीति के लिए नई चुनौती बनकर सामने आया है।
क्या कहती है विशेषज्ञों की राय?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में Terror Attack Forensic Report में डिजिटल एविडेंस सबसे अहम साबित होंगे।
डिजिटल दुनिया में छिपे सुराग अब आतंक के नए कनेक्शन को उजागर करने में मदद कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
Pahalgam Terrorist Attack के बाद सामने आए Terrorist Digital Footprints यह दर्शाते हैं कि अब आतंकवाद सिर्फ बारूद और बंदूकों तक सीमित नहीं रहा।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, क्लाउड कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया जैसे आधुनिक साधनों का दुरुपयोग अब आतंकियों की रणनीति का हिस्सा बन गया है।
भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस नई चुनौती का डटकर मुकाबला कर रही हैं।
अब वक्त आ गया है कि आम जनता भी डिजिटल सतर्कता बरते और राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान दे।