नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एक डॉक्टर को मुआवजा देने का आदेश दिया है क्योंकि पुलिस ने उनकी शिकायत पर FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया था।
यह मामला नागरिकों के अधिकारों और पुलिस की जिम्मेदारी से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पुलिस की लापरवाही पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “शिकायतकर्ता को न्याय मिलना चाहिए, और कानून का पालन सभी के लिए समान रूप से होना चाहिए।”
क्या है पूरा मामला?
इस केस की शुरुआत 2022 में हुई, जब दिल्ली में एक डॉक्टर ने अपनी सुरक्षा को लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करानी चाही।
डॉक्टर ने क्या शिकायत की थी?
- डॉक्टर के अनुसार, उनके पड़ोसी लगातार धमकियां दे रहे थे और उनके साथ मारपीट की कोशिश की थी।
- डॉक्टर ने इस घटना को लेकर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया।
- डॉक्टर ने कई बार अधिकारियों से अनुरोध किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
पुलिस की लापरवाही और कोर्ट में मामला
- जब डॉक्टर को स्थानीय पुलिस से कोई सहायता नहीं मिली, तो उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
- डॉक्टर ने कोर्ट से अपील की कि पुलिस की इस लापरवाही की जांच हो और उन्हें न्याय मिले।
- हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की और साफ कहा कि किसी भी नागरिक की शिकायत को नजरअंदाज करना असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
कोर्ट के मुख्य बिंदु:
✅ कानून के तहत FIR दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है।
✅ किसी भी नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है।
✅ अगर कोई पुलिस अधिकारी FIR दर्ज करने से इनकार करता है, तो यह गैरकानूनी है।
✅ पुलिस को शिकायतकर्ता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
कोर्ट का आदेश:
- कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को डॉक्टर को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में ऐसी घटनाएं होती हैं, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की लापरवाही के कई मामले सामने आए
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली पुलिस पर FIR दर्ज न करने का आरोप लगा हो।
कुछ महीने पहले, एक महिला ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था, जब उसने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन उसे टाल दिया गया।
इसी तरह, दिल्ली में कई नागरिकों ने आरोप लगाया कि पुलिस गंभीर अपराधों की शिकायतों को भी नजरअंदाज कर देती है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार, कोई भी नागरिक किसी अपराध की शिकायत दर्ज करा सकता है, और पुलिस को उसकी शिकायत पर कार्रवाई करनी होती है।
✅ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 154:
- पुलिस को अनिवार्य रूप से संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) की FIR दर्ज करनी होती है।
✅ सुप्रीम कोर्ट के आदेश:
- अगर कोई पुलिस अधिकारी बिना कारण बताए FIR दर्ज करने से इनकार करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
आगे क्या होगा?
इस मामले के बाद दिल्ली पुलिस पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है कि वह अपने कार्यप्रणाली में सुधार करे।
संभावित बदलाव:
- अब दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा।
- शिकायतकर्ताओं की शिकायतों को गंभीरता से लेना होगा।
- यदि कोई पुलिस अधिकारी लापरवाही करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण बातें
अगर आपको भी पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार कर रही है, तो आप इन विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं:
1️⃣ पुलिस कमिश्नर को शिकायत करें।
2️⃣ हाईकोर्ट में याचिका दायर करें।
3️⃣ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत करें।
4️⃣ लोकल मीडिया और सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत को उजागर करें।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
FIR दर्ज न करना एक गंभीर समस्या है, और यदि पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करती, तो अदालत हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली पुलिस इस फैसले के बाद अपनी कार्यशैली में सुधार करती है या नहीं।
🚨 क्या आपके साथ भी कभी FIR दर्ज न करने की समस्या हुई है? हमें कमेंट में बताएं!
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