रूस की नजर यूक्रेन के बाद अन्य रूसी बोलने वाले देशों पर, कौन-से मुल्क सॉफ्ट टारगेट हो सकते हैं?

यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस की नजर अब अन्य रूसी बोलने वाले देशों पर, कौन-से मुल्क सॉफ्ट टारगेट हो सकते हैं?

यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बाद, रूस की नजर अब अन्य रूसी बोलने वाले देशों पर पड़ी है। ऐसे में, भू-राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मॉस्को अपने पड़ोसी देशों में आगे कदम बढ़ा सकता है, खासकर उन पर जो रूस के प्रभाव के अधीन हैं या जहाँ रूसी आबादी का हिस्सा महत्वपूर्ण है।

रूस का यूक्रेन पर हस्तक्षेप न केवल यूरोप के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण घटना है। यह संघर्ष ने रूस के विदेश नीति के रणनीतिक उद्देश्यों को स्पष्ट कर दिया है, जो पूर्व सोवियत गणराज्यों पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तैयार है।

बेलारूस: रूस का करीबी सहयोगी

बेलारूस रूस का सबसे करीबी सहयोगी है और यूक्रेन संघर्ष में भी इसका समर्थन कर रहा है। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने रूस के साथ एक मजबूत सैन्य और आर्थिक संबंध बनाए हुए हैं। यहाँ तक कि बेलारूस का कुछ हिस्सा यूक्रेन संघर्ष के लिए रूस का आधार स्थल बन गया है।

हालांकि, बेलारूस की आबादी में रूस के हस्तक्षेप के प्रति विभाजन दिखाई दे रहा है। अधिकांश लोग रूस के साथ एकजुटता का समर्थन करते हैं, लेकिन कुछ लोगों को रूस के बढ़ते प्रभाव से चिंता है।

कजाकिस्तान: रूसी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा

कजाकिस्तान, जो पूर्व सोवियत गणराज्यों में से एक है, रूस के लिए एक महत्वपूर्ण देश है। यहाँ रूसी आबादी का बड़ा हिस्सा है, जो रूस के लिए एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। कजाकिस्तान की सरकार ने अब तक रूस के साथ संतुलित रणनीति अपनाई है, लेकिन यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस का दबाव बढ़ सकता है।

कजाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और ऊर्जा संसाधनों के कारण यह रूस के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। अगर रूस इस क्षेत्र में अधिक हस्तक्षेप करता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

बाल्टिक राज्य: NATO की सुरक्षा के अंतर्गत

लातविया, लिथुआनिया, और एस्टोनिया जैसे बाल्टिक राज्यों में भी रूसी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, ये देश NATO के सदस्य हैं, जिससे रूस के लिए इन पर हस्तक्षेप करना अधिक जटिल हो सकता है।

इन देशों में रूसी आबादी के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, जो रूस के लिए एक अवसर बन सकता है। हालांकि, NATO की सुरक्षा छत्र के कारण रूस को इन क्षेत्रों में सीधा हस्तक्षेप करने से पहले सोचना पड़ेगा।

मोल्दोवा: रूस के प्रभाव का नया केंद्र

मोल्दोवा, जो यूरोप के दक्षिणपूर्वी किनारे पर स्थित है, रूस के लिए एक महत्वपूर्ण देश है। इसके प्रभाव में रूस का ट्रांसनिस्ट्रिया क्षेत्र है, जो रूस के समर्थन से स्वतंत्रता का दावा करता है। यूक्रेन संघर्ष के बाद, मोल्दोवा में रूस का प्रभाव और बढ़ सकता है।

रूस के उद्देश्य और वैश्विक प्रभाव

रूस की इस रणनीति का उद्देश्य पूर्व सोवियत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना और अपनी रणनीतिक सीमाओं को मजबूत करना है। यह स्थिति न केवल यूरोप के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंता का विषय है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रूस की इस रणनीति का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा। अगर रूस इन देशों पर अधिक हस्तक्षेप करता है, तो यह वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है। Read More..

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