नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच रक्षा सौदों को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड Trump के एक पूर्व मंत्री ने हाल ही में बयान दिया है कि यदि Trump दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारत को रूस से हथियार खरीदने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस बयान से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है।
क्या कहा Trump के पूर्व मंत्री ने?
अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि Trump प्रशासन फिर से सत्ता में आता है, तो रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत, जो रूस से सैन्य उपकरणों का बड़ा खरीदार है, को भी इस नीति के तहत प्रभावित किया जा सकता है।
पोम्पियो ने कहा, “हम किसी भी देश को रूस के साथ सैन्य व्यापार जारी रखने की अनुमति नहीं देंगे। भारत को भी यह तय करना होगा कि वह अमेरिका का सहयोगी बनकर रहे या रूस से हथियार खरीदे।”
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
भारत अब तक रूस से बड़ी मात्रा में हथियार खरीदता आया है। भारतीय सेना के पास मौजूद सैन्य उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा रूस से आता है, जिसमें लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम, टैंक्स और पनडुब्बियां शामिल हैं। यदि अमेरिका भारत पर रूस से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध लगाता है, तो इससे भारतीय रक्षा नीति प्रभावित हो सकती है।
भारत के लिए यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक हो सकती है क्योंकि वह पहले से ही रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद कर रहा है। इस मामले में अमेरिका पहले भी आपत्ति जता चुका है और भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे चुका है।
अमेरिका की नीति और भारत के विकल्प
अमेरिका की “काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA)” के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है जो रूस, ईरान या उत्तर कोरिया से रक्षा सौदे करते हैं। हालांकि, भारत को अब तक इस कानून के तहत छूट मिली थी, लेकिन Trump के फिर से राष्ट्रपति बनने की स्थिति में यह छूट खत्म हो सकती है।
यदि भारत को रूस से हथियार खरीदने से रोका जाता है, तो उसे अन्य विकल्पों पर विचार करना होगा। भारत अपनी स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं है।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं। दोनों देश सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे के करीब आए हैं। लेकिन यदि अमेरिका भारत को रूस से हथियार खरीदने से रोकता है, तो यह संबंधों में दरार ला सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाए रखेगा। अमेरिका के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी के बावजूद, भारत रूस के साथ अपने ऐतिहासिक रक्षा संबंधों को तोड़ना नहीं चाहेगा।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस के लिए भी यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। अगर भारत अमेरिका के दबाव में आकर रूस से हथियार खरीदना बंद करता है, तो यह रूस की अर्थव्यवस्था और रक्षा उद्योग के लिए बड़ा झटका होगा।
रूसी अधिकारियों ने अमेरिका की इस तरह की नीतियों की पहले भी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों का उल्लंघन है और दूसरे देशों पर जबरन अपनी नीति थोपने की कोशिश है।
क्या हो सकता है भारत का अगला कदम?
भारत को अब यह तय करना होगा कि वह अपनी रक्षा आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेगा। तीन प्रमुख विकल्प हो सकते हैं:
- स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देना: भारत पहले से ही आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है।
- अमेरिकी और यूरोपीय देशों से हथियार खरीदना: अमेरिका, फ्रांस, इजरायल और ब्रिटेन जैसे देशों से सैन्य उपकरण खरीदने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।
- रूस के साथ गुप्त सौदे: भारत अपने राजनयिक संबंधों के तहत रूस से सैन्य खरीदारी को किसी अन्य माध्यम से जारी रख सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड Trump के पूर्व मंत्री का बयान भारत के लिए एक बड़ी चेतावनी साबित हो सकता है। यदि Trump दोबारा सत्ता में आते हैं और भारत पर रूस से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो भारत को अपने रक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है।
फिलहाल, भारत के पास समय है कि वह अपने रक्षा उत्पादन को मजबूत करे और एक ऐसा रास्ता तलाशे जिससे वह अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाए रख सके। इस मुद्दे पर आगे की कूटनीतिक गतिविधियां महत्वपूर्ण होंगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस चुनौती का सामना कैसे करता है।