वाशिंगटन/बीजिंग:
US-China Trade War एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह है अमेरिका द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगाए गए 104% Tariff, जो सीधे तौर पर चीन को आर्थिक झटका देने वाला कदम माना जा रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने इस मौके पर चीन को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि “अमेरिका अब किसी भी तरह की धमकी नहीं सहेगा। चीन अपनी सीमा में रहे।”
बता दें कि अमेरिका ने यह कदम उस वक्त उठाया जब चीन ने हाल ही में अमेरिका को अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दी थी कि अगर व्यापार नीतियों में नरमी नहीं लाई गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इस प्रतिक्रिया के बाद ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीन को जवाब दिया।
अमेरिका का बड़ा फैसला: EVs पर 104% टैरिफ
104% Tariff अमेरिका की ओर से चीनी उत्पादों खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), बैटरी, सोलर पैनल्स और स्टील प्रोडक्ट्स पर लगाया गया है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि यह टैरिफ चीन द्वारा अमेरिकी बाजार में सस्ते और सब्सिडी वाले उत्पादों की बाढ़ लाने के जवाब में लगाया गया है। अमेरिकी कंपनियों को इससे भारी नुकसान हो रहा था और चीन की बढ़ती दखलंदाजी को रोकना अब जरूरी हो गया था।
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार ने कहा, “चीन अमेरिकी बाजारों में अनुचित व्यापारिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है। हम अपने उद्योगों की रक्षा करेंगे और इसे रोकने के लिए यह जरूरी कदम था।”
ट्रंप का बयान: “चीन की हिम्मत नहीं जो अमेरिका को डराए”
पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने अपने बयान में चीन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “अमेरिका अब कोई नरम देश नहीं है। हम जवाब देना जानते हैं और चीन को यह समझना होगा कि उसके धमकाने के दिन अब खत्म हो गए हैं।” ट्रंप ने आगे कहा कि चीन की कंपनियां सिर्फ सस्ते उत्पाद बनाकर दुनिया को चकमा दे रही हैं और अमेरिकी मजदूरों को इससे नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर वे 2024 में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे चीन के खिलाफ और भी सख्त नीतियां अपनाएंगे ताकि अमेरिका के उद्योग सुरक्षित रहें।
चीन की प्रतिक्रिया: “यह फैसला व्यापार युद्ध को और बढ़ाएगा”
US-China Trade War को और भड़कता देख चीन ने अमेरिका को चेताया है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि यह टैरिफ WTO के नियमों का उल्लंघन करता है और चीन इसका विरोध करता है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो चीन भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
बीजिंग से जारी एक बयान में कहा गया, “यह फैसला दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में तनाव बढ़ाएगा और इससे वैश्विक बाजारों पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।”
क्यों महत्वपूर्ण है यह विवाद?
US-China Trade War कोई नया विषय नहीं है। यह 2018 से तब शुरू हुआ था जब डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए चीन के खिलाफ भारी टैरिफ लगाए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में खटास बनी हुई है। अब जब 2024 का चुनाव पास है, ट्रंप फिर से चुनावी मोड में हैं और चीन के खिलाफ सख्त स्टैंड लेना उन्हें घरेलू समर्थन दिला सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह टैरिफ न केवल आर्थिक नीति है बल्कि एक चुनावी रणनीति भी है। इससे एक ओर ट्रंप देशभक्त और अमेरिका समर्थक छवि बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीन को चेतावनी भी दी जा रही है।
वैश्विक असर
इस विवाद का असर सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। यूरोपीय बाजारों, एशियन इकोनॉमी और अंतरराष्ट्रीय निवेश पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक, “यदि यह टैरिफ लंबे समय तक रहा तो इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक सेक्टर में कीमतें बढ़ सकती हैं और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है।”
निष्कर्ष:
US-China Trade War का यह नया अध्याय बताता है कि वैश्विक राजनीति में एक छोटी सी धमकी भी कैसे बड़े फैसलों को जन्म दे सकती है। अमेरिका का 104% Tariff लगाना और Donald Trump का कड़ा बयान यह दिखाता है कि अमेरिका अब चीन को हल्के में नहीं लेना चाहता। वहीं चीन भी शांत बैठने वाला नहीं है और वह जल्द ही अपनी जवाबी रणनीति पेश कर सकता है।
जनता और वैश्विक निवेशकों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि ये फैसले सिर्फ दो देशों के नहीं बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में अगला कदम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।