बिहार की राजनीति एक बार फिर से करवट ले रही है और इस बार वजह बना है केंद्र सरकार का प्रस्तावित Waqf Bill। सीमांचल क्षेत्र — जिसमें किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया शामिल हैं — हमेशा से मुस्लिम आबादी की बहुलता के चलते राजनीतिक दलों के लिए खास महत्व रखता है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यहां की Seemanchal Politics फिर चर्चा में है। इस बार सियासत की धुरी बना है Waqf Bill, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी देखी जा रही है। इसका फायदा उठाने के लिए AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) पूरी ताक़त से मैदान में उतर चुकी है।
क्या है Waqf Bill?
Waqf Bill एक ऐसा प्रस्ताव है, जिससे वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट और ट्रांसफर से जुड़े नियमों में बदलाव आएगा। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इससे वक्फ बोर्ड की आज़ादी खतरे में पड़ सकती है और सरकार की सीधी दखलअंदाज़ी बढ़ सकती है।
यही कारण है कि सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बिल को लेकर गुस्सा है और यही गुस्सा अब वोट में तब्दील हो सकता है।
Owaisi Impact और AIMIM की रणनीति
पिछले चुनावों में Owaisi Impact ने सभी को चौंका दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज से AIMIM के उम्मीदवार जीत गए थे। इस क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी ने खुद को “वास्तविक मुस्लिम प्रतिनिधि” के तौर पर पेश किया, जिससे RJD और कांग्रेस की जड़ें हिल गईं।
अब 2024 में फिर वही रणनीति दोहराई जा रही है। AIMIM इस बार भी Waqf Bill को लेकर सरकार और RJD-कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठा रही है।
RJD की मुश्किलें
RJD सीमांचल को अपनी परंपरागत सीट मानती है। लेकिन 2019 और 2020 के चुनावों में AIMIM के उतरने से उनके वोट बैंक में सेंध लगी थी। मुस्लिम और यादव (MY) समीकरण ही RJD की सबसे बड़ी ताक़त रहा है, लेकिन मुस्लिम वोटों का AIMIM की ओर झुकाव इस समीकरण को बिगाड़ सकता है।
तेजस्वी यादव को डर है कि अगर सीमांचल में AIMIM ने मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींच लिया, तो RJD को भारी नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि RJD अब सीमांचल में अपने पुराने नेताओं को एक्टिव कर रही है और वक्फ मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ करने की कोशिश कर रही है।
Zameen se awaaz
ग्राउंड रिपोर्ट्स के अनुसार, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिलों में AIMIM के समर्थन में युवा वर्ग खासा उत्साहित है। सोशल मीडिया पर भी AIMIM की उपस्थिति मजबूत है। पार्टी नेता लगातार Waqf Bill पर जनता के बीच जा रहे हैं और इसे मुस्लिम हितों पर हमला बता रहे हैं।
दूसरी ओर RJD और कांग्रेस को अब तक इस मुद्दे पर साफ स्टैंड नहीं लेने का नुकसान हो सकता है।
अन्य फैक्टर: BJP और NDA
इस बार सीमांचल में BJP और NDA का रुख भी अहम होगा। हालांकि यह क्षेत्र NDA के लिए मुश्किल रहा है, लेकिन अगर RJD और AIMIM का वोट बैंक बंटता है, तो इसका सीधा फायदा BJP को मिल सकता है। यही कारण है कि BJP इस मुद्दे पर सतर्क है और AIMIM को “कट्टरपंथी” बताकर मुस्लिम वोट को RJD की तरफ मोड़ने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष (Conclusion):
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Waqf Bill सीमांचल में चुनावी मुद्दा बन चुका है।
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AIMIM vs RJD की टक्कर में इस बार भी वोट बंटने की आशंका है।
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Owaisi Impact सीमांचल में फिर से दिख सकता है।
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BJP इस बंटवारे का फायदा उठा सकती है।
2024 के चुनाव में सीमांचल का गणित पूरी तरह से बदल सकता है। वक्फ बिल ने सियासत में गर्मी ला दी है और यही गर्मी आगे चलकर दिल्ली की सत्ता तक असर कर सकती है।