नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगले सप्ताह बैंकिंग प्रणाली में तरलता (liquidity) बढ़ाने की घोषणा की है, ताकि वित्तीय वर्ष के अंत में कर भुगतान से उत्पन्न नकदी की कमी को संतुलित किया जा सके। इस कदम से बाजार में तरलता संकट को दूर करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
RBI का कदम और कारण
- RBI ने सरकारी प्रतिभूतियों की 40,000 करोड़ रुपये तक की खरीद करने का निर्णय लिया है।
- सोमवार को 1 लाख करोड़ रुपये की चार दिवसीय वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी भी आयोजित की जाएगी।
- केंद्रीय बैंक के इस निर्णय से बैंकों को अतिरिक्त नकदी प्राप्त होगी, जिससे वे अधिक ऋण दे सकेंगे और बाजार में नकदी प्रवाह बना रहेगा।
तरलता संकट क्यों उत्पन्न हुआ?
✅ वित्तीय वर्ष के अंत में उच्च कर भुगतान: कंपनियाँ और व्यक्तिगत करदाता मार्च में बड़ी संख्या में कर जमा करते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली में नकदी की कमी हो जाती है।
✅ ब्याज दरों में अस्थिरता: हाल ही में बाजार में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव देखा गया, जिससे RBI को हस्तक्षेप करना पड़ा।
✅ वैश्विक बाजार का प्रभाव: अमेरिका और यूरोप के वित्तीय बाजारों में उठापटक का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का बयान
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा,
“हम वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह कदम बाजार में संतुलन बनाए रखने और बैंकों को पर्याप्त तरलता प्रदान करने के लिए उठाया गया है।”
बाजार पर संभावित प्रभाव
📈 बैंकिंग सेक्टर को राहत: बैंकों को ऋण देने के लिए अधिक नकदी मिलेगी, जिससे व्यवसायों को अधिक लोन उपलब्ध होगा।
📈 शेयर बाजार को सकारात्मक संकेत: निवेशकों को उम्मीद है कि बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी को मजबूती मिलेगी।
📈 ब्याज दरों पर असर: RBI का यह निर्णय बाजार में ब्याज दरों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक के इस कदम से आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और बैंकों को अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। अब देखना होगा कि यह रणनीति मार्केट लिक्विडिटी और बैंकिंग सेक्टर को कितना राहत पहुंचा पाती है। Read More..