भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ रहा है। वायुसेना के जांबाज ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla अब अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार हैं। उन्हें 2025 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा जाएगा, और इसके लिए तारीख भी तय कर दी गई है — 15 अगस्त 2025, यानी भारत के स्वतंत्रता दिवस के दिन। यह संयोग अपने आप में ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण है।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को यह अवसर ISRO और NASA के संयुक्त मिशन के तहत दिया गया है। वह पहले भारतीय सैन्य अधिकारी होंगे जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मानव मिशन का हिस्सा बनेंगे। उनका चयन कई कठिन प्रशिक्षण और टेस्ट के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने न केवल भारतीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाया।
इस मिशन को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। शुभांशु शुक्ला न सिर्फ भारतीय वायुसेना के लिए, बल्कि हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा हैं जो कभी आसमान की ओर देखता था और सोचता था — “क्या मैं भी कभी अंतरिक्ष जा सकता हूँ?”
कैसा रहेगा मिशन?
इस मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला को 180 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहना होगा, जहां वे माइक्रोग्रैविटी, बायोलॉजिकल साइंस, और स्पेस सिस्टम्स पर शोध करेंगे। इसके साथ ही वे अंतरिक्ष में भारतीय तकनीकों और नवाचारों की भी टेस्टिंग करेंगे।
ISRO प्रमुख ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि भावनात्मक रूप से भी भारत के लिए बहुत खास क्षण होगा। शुभांशु जी के ज़रिए भारत का झंडा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फहराएगा।”
देशभर से आ रहे हैं शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मिशन पर ट्वीट करते हुए कहा, “भारत के बेटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजना हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। हम सबकी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।”
इस मिशन को ‘Gaganyaan-International Extension’ नाम दिया गया है, जो भारत के पहले मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
“लखनऊ से अंतरिक्ष तक: शुभांशु की उड़ान”
लखनऊ की गलियों में बचपन बीता, सपनों की उड़ान ने मन में संगीत रचा। कक्षा में बैठा वो बालक नन्हा, आँखों में चमक, दिल में था सपना।
कभी किताबों में खोजा आकाश का राज़, कभी तारों से करता मन में संवाद। कर्गिल की गूंज ने जगा दी चाह, देश की सेवा में हो अपना भी राह।
बिना बताए भरा एनडीए का फ़ॉर्म, सपनों को दिया एक नया मोड़। परिवार को जब मिली ये खबर, गर्व से भर उठा उनका भी घर।
एनडीए में सीखा अनुशासन का पाठ, फिर एयर फ़ोर्स अकादमी में बढ़ाए अपने हाथ। सु-30, मिग-21 की थामी कमान, आसमान में गूंजा भारत का नाम।
2000 घंटों की उड़ान का अनुभव पाया, टेस्ट पायलट बन, हर चुनौती को अपनाया। फिर आया बुलावा अंतरिक्ष से एक दिन, गगनयान मिशन में चुना गया नाम इनका।
रूस में हुई कठिन ट्रेनिंग की शुरुआत, फिर बेंगलुरु में जारी रही मेहनत की बात। 2024 में प्रधानमंत्री ने किया ऐलान, शुभांशु शुक्ला, भारत की नई पहचान।
अब 2025 में होगी वो घड़ी खास, जब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में होगा उनका वास। 40 साल बाद फिर भारत का तिरंगा लहराएगा, शुभांशु के संग पूरा देश मुस्कुराएगा।
एक मिसाल बनेंगे शुभांशु
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उड़ान होगी — एक ऐसा भारत जो न केवल धरती पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपने झंडे गाड़ रहा है। यह मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती — न ज़मीन पर और न ही अंतरिक्ष में।